इस समय देश में भीषण गर्मी पड़ रही है। ऐसे में गर्मी का असर मुर्गियों के उत्पादन पर भी पड़ने लगा है। इससे पोल्ट्री उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है।
गर्मी के कारण मुर्गियाँ ठीक से भोजन नहीं कर पा रही हैं।इसलिए उनका वजन बढ़ने में दिक़्क़त आने गली है।साथ ही में लेयर मुर्गियों का अंडा उत्पादन कम होने लगा है। स्प्रिंकलर या फॉगर्स होने के बावजूद
मुर्गियों के वजन पर प्रभाव हो रहा है। जिन फार्म्स में स्प्रिंकलर या फॉगर्स है वहां मुर्गियो कि मृत्यु दर और वजन में कमी देखी गई है। लोहे की टिन, पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन ये सभी मुर्गियो के विकास को प्रभावित कर रहे हैं। गर्मी के असर के कारण बाजार में चिकन अन्य सीजन की तुलना में महंगा बिक रहा है।
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देश में सबसे अधिक गर्मी विदर्भ में पड़ती है। इसलिए विशेषकर फरवरी,मार्च,अप्रैल,मई और जून के महीनों में मुर्गियों के प्रबंधन पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।
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गर्मी का मुर्गियों पे पढ़ने वाला असर
पोल्ट्री अभ्यासक ललित लांजेवार का कहना है, कि सर्दियों और मानसून की तुलना में गर्मियों में ब्रॉयलर मुर्गियां अधिक कीमत पर बिकती हैं। लेकिन गर्मी के कारण अंडे और मांस के उत्पादन में समय लगता है, इस वजह से चिकन का वजन फ़ीड कंपनियों के मानक वजन चार्ट से कम होता है।
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क्यू की मुर्गियों में पसीने की ग्रंथियाँ नहीं होती हैं, इसलिए वे अपने शरीर के तापमान को मनुष्यों की तरह नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, अन्य पालतू जानवरों की तुलना में, मुर्गियों के शरीर का तापमान स्वाभाविक रूप से (103-107 डिग्री फ़ारेनहाइट) होता है जो 40.6° और 41.7°C के बीच होता है।
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पर्यावरण में उचित पालन-पोषण के लिए मुर्गियों को न्यूनतम 18 से 21 और अधिकतम 28 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।लेकिन यदि तापमान बढ़ता है और तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, तो उनका उत्पादन प्रभावित होता है।वजन और अंडा उत्पादन पर असर दिखता है. यदि तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाए तो मुर्गे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा,अंडे देने वाली मुर्गियों में तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप प्रत्येक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पर अंडे के उत्पादन में 5 प्रतिशत की कमी आती है।
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मुर्गियों में लू के लक्षणों को कैसे पहचानें
अधिक पानी पीने से भूख कम लगती है। सांस लेते समय मुंह खोलना, खड़े होने के बजाय फर्श पर बैठना, शरीर की गति और गति धीमी होना, अंडे पर मुर्गियों का उत्पादन कम होना, अंडे का वजन और अंडे का छिलका नाजुक होना, गर्मी के कारण मुर्गियों का प्रजनन कम होना क्षमता भी प्रभावित होती है।रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना, पानी के ड्रिंकर के आसपास बैठना, शरीर से दूर पंख फैलाना आदि...
मुर्गियों को लू से बचाने के उपाय
पोल्ट्री फार्म की लंबाई पूर्व-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शेड में धूप न आए, शेड की ऊंचाई जमीन से 14 फीट होनी चाहिए, मुर्गियों को उसी शेड में रखना चाहिए। गर्मियों में अन्य मौसमों की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत कम प्लेसमेंट करना चाहिए, मुर्गियों को पीने का पानी दोगुना कर देना चाहिए। विटामिन (सी और ई) का सेवन पीने के पानी के माध्यम से करना चाहिए। इससे गर्मी का तनाव कम होगा। पानी की टंकी शेड के अंदर होनी चाहिए, अगर टंकी बाहर है तो पानी को ठंडा रखने के लिए टंकी ढकने का इंतजाम करे।व्यक्सीन सुबह 9 बजे से पहले या शाम 7 बजे के बाद करे।
फिलहाल महाराष्ट्र में बारिश का मौसम है।जलवायु परिवर्तन का यह परिदृश्य अगले तीन दिन स्थिर रहेंगे और 17 मई के बाद फिर से गर्मी शुरू हो जाएगी। पिछले कुछ दिनों से पूरे महाराष्ट्र में लगातार तूफानी बारिश और ओलावृष्टि हो रही है।बाद में अचानक गर्मी बढ़ने से मुर्गियों को लू का भी सामना करना पड़ रहा है। इससे वायरल बीमारी बढ़ने लगी है। ऐसे में, सभी पोल्ट्री किसानों को अपने पोल्ट्री फ्लॉक पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।बर्ड की आवाज और शोर की जाँच करने की आवश्यकता है। सही तापमान बनाए रखकर, आप अपने मुर्गियोंको मरने से रोक सकते हैं।
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