कोलकाता:
कोलकाता में सर्दियों के मौसम और बढ़ते निर्यात की वजह से अंडों की कीमतों में करीब 25% की वृद्धि देखी गई है। बीते पंद्रह दिनों में अंडे की कीमत ₹6.5 से बढ़कर ₹8 प्रति अंडा हो गई है।
हालांकि, पोल्ट्री उद्योग का कहना है कि बांग्लादेश को निर्यात इसका मुख्य कारण नहीं है। पश्चिम बंगाल पोल्ट्री फेडरेशन के अनुसार, सर्दियों की मांग, पोल्ट्री फीड की बढ़ती लागत, और बांग्लादेश व मलेशिया जैसे नए बाजारों को निर्यात इसके प्रमुख कारण हैं। नवंबर और दिसंबर में बांग्लादेश और मलेशिया को कुल 5 करोड़ अंडों का ऑर्डर दिया गया है, लेकिन अब तक 2 करोड़ अंडे ही निर्यात हुए हैं।

फीड की बढ़ती लागत बना बड़ी वजह
फेडरेशन के महासचिव मदन मोहन मैती ने बताया कि देशभर में अंडों की कीमतें बढ़ी हैं। फीड की लागत में 30% की बढ़ोतरी हुई है, और मक्का, जो पोल्ट्री फीड का मुख्य घटक है, की कीमत ₹14 प्रति किलो से बढ़कर ₹28 प्रति किलो हो गई है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सर्दियों में अंडों की कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं, लेकिन इस बार वृद्धि अधिक तेज है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मक्का की कमी इस समस्या की जड़ है। उत्पादन में 40% की वृद्धि या मुक्त आयात की अनुमति से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
निर्यात और घरेलू मांग
बांग्लादेश सरकार ने सितंबर से भारत से अंडों का आयात शुरू किया है। पश्चिम बंगाल से अंडों का निर्यात मुख्य रूप से पेट्रापोल-बेनापोल सीमा से किया जाता है। हालांकि, मैती ने स्पष्ट किया कि निर्यात किए गए ज्यादातर अंडे अन्य राज्यों से आते हैं, न कि बंगाल से.ओमान, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और कतर भारतीय अंडों के प्रमुख बाजार हैं।
राजनीतिक अशांति से व्यापार प्रभावित हो सकता है
बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों की घटनाएं भारतीय अंडों के निर्यात को प्रभावित कर सकती हैं।
स्थानीय मांग और सरकार की नजर
मैती ने बताया कि बंगाल में प्रतिदिन अंडों की मांग 3.5 से 4.5 करोड़ के बीच है, जिसमें से अधिकांश आपूर्ति घरेलू उत्पादन से होती है। राज्य सरकार की एक टास्क फोर्स स्थिति पर नज़र रख रही है।
(यह रिपोर्ट मौजूदा परिस्थितियों पर आधारित है और स्थिति में बदलाव संभव है।)
कोलकाता में सर्दियों के मौसम और बढ़ते निर्यात की वजह से अंडों की कीमतों में करीब 25% की वृद्धि देखी गई है। बीते पंद्रह दिनों में अंडे की कीमत ₹6.5 से बढ़कर ₹8 प्रति अंडा हो गई है।
हालांकि, पोल्ट्री उद्योग का कहना है कि बांग्लादेश को निर्यात इसका मुख्य कारण नहीं है। पश्चिम बंगाल पोल्ट्री फेडरेशन के अनुसार, सर्दियों की मांग, पोल्ट्री फीड की बढ़ती लागत, और बांग्लादेश व मलेशिया जैसे नए बाजारों को निर्यात इसके प्रमुख कारण हैं। नवंबर और दिसंबर में बांग्लादेश और मलेशिया को कुल 5 करोड़ अंडों का ऑर्डर दिया गया है, लेकिन अब तक 2 करोड़ अंडे ही निर्यात हुए हैं।

फीड की बढ़ती लागत बना बड़ी वजह
फेडरेशन के महासचिव मदन मोहन मैती ने बताया कि देशभर में अंडों की कीमतें बढ़ी हैं। फीड की लागत में 30% की बढ़ोतरी हुई है, और मक्का, जो पोल्ट्री फीड का मुख्य घटक है, की कीमत ₹14 प्रति किलो से बढ़कर ₹28 प्रति किलो हो गई है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सर्दियों में अंडों की कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं, लेकिन इस बार वृद्धि अधिक तेज है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मक्का की कमी इस समस्या की जड़ है। उत्पादन में 40% की वृद्धि या मुक्त आयात की अनुमति से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
निर्यात और घरेलू मांग
बांग्लादेश सरकार ने सितंबर से भारत से अंडों का आयात शुरू किया है। पश्चिम बंगाल से अंडों का निर्यात मुख्य रूप से पेट्रापोल-बेनापोल सीमा से किया जाता है। हालांकि, मैती ने स्पष्ट किया कि निर्यात किए गए ज्यादातर अंडे अन्य राज्यों से आते हैं, न कि बंगाल से.ओमान, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और कतर भारतीय अंडों के प्रमुख बाजार हैं।
राजनीतिक अशांति से व्यापार प्रभावित हो सकता है
बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों की घटनाएं भारतीय अंडों के निर्यात को प्रभावित कर सकती हैं।
स्थानीय मांग और सरकार की नजर
मैती ने बताया कि बंगाल में प्रतिदिन अंडों की मांग 3.5 से 4.5 करोड़ के बीच है, जिसमें से अधिकांश आपूर्ति घरेलू उत्पादन से होती है। राज्य सरकार की एक टास्क फोर्स स्थिति पर नज़र रख रही है।
(यह रिपोर्ट मौजूदा परिस्थितियों पर आधारित है और स्थिति में बदलाव संभव है।)
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