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TERI और पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर

दिल्ली:
गुड़गांव में हाल ही में आयोजित पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) की 35वीं वार्षिक बैठक के दौरान, टीईआरआई (The Energy and Resources Institute) और पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता टीईआरआई की महानिदेशक डॉ. विभा धवन और PFI के अध्यक्ष श्री रणपाल ढांडा की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस MoU का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वेस्टेज के पुनः उपयोग (रिसाइक्लिंग) को बढ़ावा देना है।
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मजबूत पोल्ट्री फार्मिंग के लिए अभिनव पहल
इस समझौते के अंतर्गत, दोनों संगठन शैवाल-आधारित (Algae-Based) पोल्ट्री फ़ीड के उत्पादन के लिए अनुसंधान और तकनीकी समाधान विकसित करेंगे। इस प्रकार की फ़ीड से न केवल पोल्ट्री उत्पादों में पोषण का स्तर बेहतर होगा, बल्कि इसके माध्यम से ओमेगा-3 युक्त अंडों का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि शैवाल आधारित फ़ीड पोल्ट्री उद्योग के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और देश में टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा।
पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य में सुधार
यह पहल न केवल पोल्ट्री उद्योग को मजबूत करेगी, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी नए आयाम जुड़ेंगे। शैवाल-आधारित फ़ीड के माध्यम से बेहतर पोषण के साथ-साथ वेस्टज के पुनः उपयोग की उन्नत तकनीक विकसित की जाएगी। इसके अलावा, इससे देश में बेहतर स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा मिलेगा,क्योंकि ओमेगा-3 युक्त अंडों के सेवन से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारियों में कमी लाने में मदद मिलेगी।

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किसानों और उद्योग के लिए आर्थिक लाभ
शैवाल-आधारित फ़ीड की लागत पारंपरिक पोल्ट्री फ़ीड की तुलना में कम हो सकती है, जिससे पोल्ट्री किसानों को आर्थिक लाभ होगा। साथ ही, यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगी, क्योंकि शैवाल उत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर नई इकाइयों की स्थापना की जा सकती है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।

आने वाले समय में नई संभावनाएं
यह समझौता पोल्ट्री पोषण में क्रांति लाने और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल ओमेगा-3 युक्त अंडों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल कृषि और उन्नत वेस्टेज (कचरा)पुनर्चक्रण समाधान भी संभव हो सकेंगे। इसके अलावा, देश के पोल्ट्री उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होने से वैश्विक स्तर पर निर्यात के अवसर भी बढ़ सकते हैं।

पोल्ट्री फ़ीड में शैवाल आधारित पोषण से होगी क्रांति
पोल्ट्री पोषण में मैक्रोएल्गी और माइक्रोएल्गी का उपयोग एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। शैवाल की समृद्ध पोषण प्रोफ़ाइल, जिसमें प्रोटीन, लिपिड, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, न केवल ब्रॉयलर और मुर्गियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगी बल्कि अंडे और मांस की गुणवत्ता भी बढ़ाएगी।
शैवाल आधारित फ़ीड के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में इसकी पाचन तंत्र के माइक्रोबायोम को सुधारने की क्षमता है, जिससे पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण संभव हो सकेगा। इसके अलावा, शैवाल एंटीबायोटिक दवाओं के वैकल्पिक विकास उत्तेजक के रूप में उभर सकता है, जिससे पोल्ट्री उत्पादन में एंटीबायोटिक्स पर निर्भरता घटेगी।

हालांकि, इसके प्रभावी उपयोग के लिए विभिन्न चरणों में इष्टतम खुराक और संयोजन निर्धारित करने हेतु गहन अनुसंधान की आवश्यकता होगी। यह पहल पोल्ट्री उत्पादन में टिकाऊ और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक प्रथाओं को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकती है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस पहल से भारत के पोल्ट्री उद्योग को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई पहचान मिलेगी और इससे ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के लक्ष्यों को भी बल मिलेगा।
रिपोर्ट: ललित लांजेवार 

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