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भारत का पोल्ट्री उद्योग विस्तार की ओर;लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और फीड सप्लाई बनी चुनौती

नई दिल्ली: 
भारत का पोल्ट्री उद्योग तेजी से विस्तार की ओर बढ़ रहा है। फार्म एक्सपांशन, मॉडर्नाइजेशन और एडवांस प्रोडक्शन प्रैक्टिसेस के जरिए प्रोडक्शन में वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, इस ग्रोथ की गति उपभोक्ता डिमांड में बदलाव, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन, सरकारी नीतियों और आवश्यक फीड अवेलेबिलिटी जैसे कारकों पर निर्भर करेगी।

इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड चेन डेवेलपमेंट अनिवार्य
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स रिकी थापर का मानना है कि ग्रोथ बनाए रखने और तेज करने के लिए कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर और हाई-कैपेसिटी पोल्ट्री प्रोसेसिंग प्लांट्स में बड़े इन्वेस्टमेंट की जरूरत है, जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स पर खरे उतरें। लाइव बर्ड सेल से प्रोसेस्ड, चिल्ड और फ्रोजन पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की ओर ट्रांजिशन से मार्केट एफिशिएंसी में सुधार होगा। इसके साथ ही, कॉर्न और सोयाबीन की स्टेबल और किफायती सप्लाई सुनिश्चित करना इंडस्ट्री की सफलता के लिए अहम होगा।

फीड सप्लाई और सरकारी नीतियों की चुनौतियां
इस सेक्टर की सबसे बड़ी चिंता मक्का (maize) की संभावित कमी है। भारत सरकार का मक्का को एथेनॉल प्रोडक्शन के लिए उपयोग करने का निर्णय, जो पहले चावल और गन्ने से किया जाता था, पोल्ट्री फीड की उपलब्धता पर असर डाल सकता है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएम (Genetically Modified) मक्का के इम्पोर्ट को अनुमति देना और घरेलू उत्पादन को बढ़ाना जरूरी है, ताकि पोल्ट्री, स्टार्च और बायोफ्यूल सेक्टर की बढ़ती मांग को संतुलित किया जा सके।

पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड
बढ़ती हेल्थ अवेयरनेस के चलते चिकन मीट और अंडों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि इन्हें रेड मीट की तुलना में हेल्दी ऑप्शन माना जाता है। पोल्ट्री प्रोडक्ट्स अन्य प्रोटीन सोर्सेस की तुलना में अधिक अफोर्डेबल हैं, जिससे यह अधिक जनसंख्या के लिए एक्सेसिबल बने हुए हैं। COVID-19 महामारी के बाद प्रोटीन-रिच फूड्स की डिमांड में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे पोल्ट्री कंजम्पशन को और बढ़ावा मिला है।

सस्ते फीड इम्पोर्ट की मांग
पोल्ट्री इंडस्ट्री की 7-9% वार्षिक ग्रोथ के अनुमान को देखते हुए, फीड कॉस्ट को कम करना एक बड़ी प्राथमिकता है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के जॉइंट सेक्रेटरी रिकी थापर ने कहा कि भारत को जीएम सोयाबीन मील और जीएम कॉर्न को प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर इम्पोर्ट करने की जरूरत है, ताकि पोल्ट्री सेक्टर की ग्रोथ बनी रहे और प्रोडक्ट्स को अफोर्डेबल रखा जा सके।

सरकार की नीतियों, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और उचित सप्लाई चैन के साथ, भारत का पोल्ट्री उद्योग ग्लोबल मार्केट में अपनी मजबूत पकड़ बना सकता है और देश की फूड सिक्योरिटी और इकोनॉमिक ग्रोथ में योगदान दे सकता है।

युवा पोल्ट्री अभ्यासक ललित लांजेवार ने कहा की भारत में पोल्ट्री मीट से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड चेन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के कई फायदे आने वाले समय में होने की बात कहिजो पूरे पोल्ट्री इंडस्ट्री के ग्रोथ और इकॉनमी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता हैं।  
इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड चेन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के फायदे

1. पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की शेल्फ लाइफ बढ़ेगी
कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग सुविधाओं से चिकन मीट और अन्य पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की ताजगी अधिक समय तक बनी रहेगी।
खराब होने वाले उत्पादों की बर्बादी कम होगी, जिससे लॉस कम होगा।

2. हाई-क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स में सुधार
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के प्रोसेसिंग प्लांट और स्टोरेज फैसिलिटीज से फूड सेफ्टी और हाइजीन सुनिश्चित होगी।
मीट और अंडों की क्वालिटी में सुधार होगा, जिससे लोकल और एक्सपोर्ट मार्केट में डिमांड बढ़ेगी।

3. लॉजिस्टिक्स और डिस्ट्रीब्यूशन में एफिशिएंसी
रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट और वेयरहाउसिंग सुविधाओं से मीट को दूर-दराज के इलाकों में भी ताजा और सुरक्षित भेजा जा सकेगा।
पूरे सप्लाई चेन में एफिशिएंसी आएगी, जिससे लागत कम होगी।

4. एक्सपोर्ट और इंटरनेशनल मार्केट में ग्रोथ
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स का पालन करने से भारत के पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की ग्लोबल मार्केट में डिमांड बढ़ेगी।
एक्सपोर्ट के नए अवसर मिलेंगे, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होगी।

5. लोकल किसानों और पोल्ट्री फार्मर्स को लाभ
बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड चेन डेवेलपमेंट से छोटे पोल्ट्री फार्मर्स को फायदा मिलेगा। लोकल उत्पादन को प्रोसेसिंग यूनिट से जोड़ने से फेयर प्राइस मिलेगा और मार्केट एक्सपोजर बढ़ेगा।

6. खाद्य सुरक्षा (Food Security) को बढ़ावा
मीट और अंडों की सप्लाई स्टेबल होगी, जिससे प्रोटीन रिच फूड्स की निरंतर उपलब्धता बनी रहेगी।
पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस कम होने से देश में फूड वेस्टेज घटेगा।

7. निवेश (Investment) और रोजगार में वृद्धि
कोल्ड चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े इन्वेस्टमेंट से नए स्टार्टअप्स और बिजनेस के अवसर बढ़ेंगे। सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

8. पोल्ट्री फीड इंडस्ट्री को सपोर्ट
पोल्ट्री फार्मिंग और प्रोसेसिंग के विकास से मक्का (maize), सोयाबीन और अन्य फीड ग्रेन की मांग बढ़ेगी, जिससे किसान भी लाभान्वित होंगे।
सरकार के सहयोग से जीएम (Genetically Modified) फीड के आयात और उत्पादन में मदद मिलेगी।
 
 इससे यह साफ  होता है की भारत में पोल्ट्री मीट से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड चेन डेवलपमेंट से पूरे पोल्ट्री सेक्टर को मजबूती मिलेगी।इससे उत्पादन, प्रोसेसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और एक्सपोर्ट सभी स्तरों पर सुधार होगा, जिससे उद्योग की ग्रोथ को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। 
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