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Maize & Millet Summit 2025: पशु आहार की बढ़ती लागत को कम करने के लिए GM फसलों की अनुमति की मांग

नई दिल्ली:
टेफ्ला द्वारा होटल लीला में आयोजित "मक्का और बाजरा शिखर सम्मेलन 2025"में पोल्ट्री बाजार की गतिशीलता, रुझान और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था।इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के वकील और तकनीकी-कानूनी विशेषज्ञ विजय सरदाना ने इस सत्र का संचालन किया.

यूएसएसईसी इंडिया के कंट्री लीड फ्रैंकलिन एम.ने मक्का और सोयाबीन/सोयाबीन मील के उत्पादन व खपत पर विस्तृत प्रस्तुति दी। पैनलिस्ट के रूप PFI  के सचिव रिकी थापर ने चिंता जताते कहा कि भारतीय पोल्ट्री उद्योग 7-9% की दर से बढ़ रहा है,जबकि कृषि विकास दर केवल 2% है। इससे आने वाले वर्षों में कच्चे माल की आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो सकता है। सरकार ने
GM मक्का और GM  सोयाबीन मील के आयात की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि फीड लागत को कम किया जा सके। 
उन्होंने बताया कि भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पहले से ही जीएम फसलों के आयात की अनुमति है। भारतीय पोल्ट्री संघ पशुपालन और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।

इस सत्र में हरिश बत्रा (एग्रो इनोवेटर्स मिलेट प्रमोशन एसोसिएशन), राहुल खत्री (पीएफआई), संदीप गुहा (बंगे इंडिया), डॉ. अनूप कालरा (सीएलएफएमए), और आशीष चतुर्वेदी (ओलाम एग्री) जैसे उद्योग विशेषज्ञ शामिल हुए।

अन्य प्रमुख सत्र
मक्का और बाजरा व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पर चर्चा, जिसका संचालन मृत्युंजय झा (जी टीवी) ने किया।

नीतिगत ढांचा, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला पर अर्पित जैन (आईबी ग्रुप) ने अपने विचार रखे।

बाजार के रुझान और चुनौतियाँ पर संजीव अस्थाना (पतंजलि फूड्स)ने प्रकाश डाला।

इस शिखर सम्मेलन में 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें स्टार्च, एथेनॉल, खाद्य और पशुधन उद्योग के नेता शामिल थे। यह आयोजन उद्योग जगत के लिए नेटवर्किंग और नई रणनीतियों पर चर्चा करने का एक उत्कृष्ट मंच साबित हुआ।
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