मित्रों, मेरा हमेशा से यही मानना रहा है कि पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे अधिक नुकसान अत्यधिक मृत्युदर (Mortality Rate) के कारण होता है। यह मृत्युदर चाहे फार्म प्रबंधन की कमियों की वजह से हो या फिर किसी संक्रामक रोग के कारण, दोनों ही स्थितियां खतरनाक होती हैं।
यदि यह समस्या फार्म प्रबंधन की गलतियों के कारण है, तो यह केवल उस फार्म तक सीमित रहती है, लेकिन यदि किसी संक्रामक बीमारी के कारण है, तो यह पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बन सकती है।
इन दिनों रानीखेत बीमारी (Newcastle Disease) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। अपने अनुभव के आधार पर, मैं कुछ सुझाव देना चाहूंगा कि कैसे इन संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है।
1. संक्रमण की जानकारी रखें:
अपने क्षेत्र, राज्य और पड़ोसी राज्यों में पोल्ट्री से संबंधित संक्रमणों की जानकारी रखें।यह जानना आवश्यक है कि किस बीमारी का संक्रमण फैल रहा है और इससे मृत्युदर (Mortality) और उत्पादन (Production) पर क्या प्रभाव पड़ा है। ध्यान रखें कि आपकी जानकारी सटीक और प्रमाणित होनी चाहिए, भ्रामक जानकारी नुकसानदायक हो सकती है।
2. व्यापारियों से संवाद बनाए रखें:
अपने क्षेत्र के मुर्गा और अंडा व्यापारियों के साथ सतत संपर्क में रहें।यदि किसी राज्य में संक्रामक बीमारी फैली है, तो उस राज्य से अंडा या मुर्गे मंगवाने से बचने की सलाह दें।जब किसी फार्मर को लगता है कि उसकी मुर्गियों को बचाना मुश्किल है, तो वह सस्ते दामों में बिक्री करने का प्रयास करता है।
मुर्गा व्यापारी कम कीमत के लालच में ऐसे संक्रमित मुर्गे खरीद लेते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है।यात्रा के दौरान मरे हुए पक्षियों को सड़क किनारे फेंकना भी संक्रमण फैलने का एक मुख्य कारण है।
3. सूचना साझा करना जरूरी है:
यदि किसी पोल्ट्री फार्म में संक्रामक बीमारी के कारण मृत्युदर अधिक है, तो उस फार्मर को अपने क्षेत्र के अन्य फार्मर्स को सतर्क करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।कुछ फार्मर्स यह सोचते हैं कि उनकी समस्या की जानकारी दूसरों तक न पहुंचे, लेकिन संक्रामक बीमारियों के मामलों में यह सोच गलत और खतरनाक हो सकती है। सामूहिक सतर्कता ही पूरे क्षेत्र को बचा सकती है।
4.बीमार पक्षियों को न बेचें:
यदि आपके फार्म में संक्रमण फैल चुका है, तो किसी भी स्थिति में उन संक्रमित मुर्गों को बेचने का प्रयास न करें।ऐसा करने से पूरे पोल्ट्री उद्योग को खतरे में डाल दिया जाएगा।
5.वैक्सीनेशन और बायोसिक्योरिटी:
नियमित रूप से अपने कंसल्टेंट और क्षेत्र के अन्य फार्मर्स के साथ मिलकर वैक्सीनेशन शेड्यूल और बायोसिक्योरिटी पर चर्चा करें।संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए यही दो सबसे प्रभावी उपाय हैं।समय-समय पर अपने वैक्सीनेशन शेड्यूल में आवश्यक बदलाव करें और फार्म की साफ-सफाई और संक्रमण-रोधी उपाय लागू करें।
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ईश्वर और विज्ञान:
याद रखिए कि वैक्सीन और दवाइयां इंसानों ने बनाई हैं, जबकि वायरस और बैक्टीरिया को भगवान ने।
इसलिए भगवान की बनाई हुई चीजें अक्सर इंसानों की बनाई हुई चीजों से ज्यादा शक्तिशाली साबित होती हैं।आपकी सजगता और सतर्कता ही आपको इन संक्रामक बीमारियों से बचा सकती है।इस लेख में दिए गए विचार और सुझाव मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हैं।
यह आवश्यक नहीं है कि आप सभी इनसे सहमत हों, लेकिन यदि आप सतर्क और जागरूक रहेंगे, तो निश्चित रूप से पोल्ट्री फार्मिंग में होने वाले आर्थिक नुकसान को कम कर सकते हैं।
धन्यवाद,
डॉ. मनोज शुक्ला।
पोल्ट्री विशेषज्ञ एवं विचारक
रायपुर, छत्तीसगड।
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