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लोकसभा में उठी अंडे की कीमतों को लेकर पारदर्शिता की मांग

📍 नई दिल्ली:
शुक्रवार को लोकसभा में अंडों की कीमतों को लेकर पारदर्शिता एवं सरकारी नियंत्रण की मांग का मुद्दा गरमाया। बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह ने अंडों की कीमत निर्धारण प्रक्रिया में सरकारी हस्तक्षेप के अभाव पर गंभीर चिंता जताई और सदन का ध्यान आकृष्ट किया।

सांसद श्री सिंह ने कहा कि देश में दूध, पनीर एवं अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों का निर्धारण सरकारी एजेंसियों या सहकारी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिससे आम जनता को पारदर्शी व नियंत्रित दरों पर ये वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं। इसके विपरीत, अंडों की कीमतों का निर्धारण पूरी तरह से निजी संस्थाओं के हवाले है।
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन निजी संस्थाओं के पास न तो कोई वैधानिक अधिकार है, और न ही कीमतों को लेकर कोई पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है। फलस्वरूप, किसानों, पोल्ट्री व्यवसायियों और आम उपभोक्ताओं को मूल्य निर्धारण के असंतुलन का खामियाजा उठाना पड़ता है।

 सिंह ने सरकार से आग्रह किया कि इस मामले में ठोस कदम उठाते हुए:
अंडों की कीमतों के निर्धारण हेतु सरकारी निगरानी तंत्र विकसित किया जाए

एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली लागू की जाए
संबंधित संस्थाओं को वैधानिक ढांचे में लाया जाए, ताकि मूल्य निर्धारण प्रक्रिया लोकतांत्रिक और संतुलित हो सके इस मुद्दे पर सदन के अन्य सदस्यों ने भी समर्थन जताते हुए अंडों को आवश्यक खाद्य वस्तु घोषित करने और राष्ट्रीय स्तर पर एक मूल्य निर्धारण नीति लाने की आवश्यकता पर बल दिया।

 अब देखना होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है, जिससे देश के करोड़ों उपभोक्ताओं और पोल्ट्री उद्योग को राहत मिल सके।
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