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महीने भर में देश के सभी पोल्ट्री फार्मों को पंजीकरण करना होंगा अनिवार्य; बर्ड फ्लू प्रकोप के बाद सरकार का नया आदेश

नई दिल्ली:
देश में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) के प्रकोपों को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया था । 
 यह बैठक सचिव श्रीमती अल्का उपाध्याय की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें वैज्ञानिक विशेषज्ञों, पोल्ट्री उद्योग के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। बैठक में एवियन इन्फ्लुएंजा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई और इसके नियंत्रण के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गई।
बर्ड फ्लू से निपटने के लिए तीन प्रमुख रणनीतियाँ तय 
DAHD ने हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद बर्ड फ्लू को रोकने और नियंत्रित करने के लिए तीन प्रमुख उपायों पर आधारित रणनीति अपनाई है. 
पोल्ट्री फार्मों का अनिवार्य पंजीकरण 
 सभी पोल्ट्री फार्मों को एक महीने के भीतर राज्य पशुपालन विभागों में पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने उद्योग से 100% अनुपालन सुनिश्चित करने की अपील की है।
कठोर बायो-सिक्योरिटी उपाय – पोल्ट्री फार्मों को स्वच्छता बनाए रखने, प्रवेश पर नियंत्रण और कड़े जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाने होंगे ताकि संक्रमण का खतरा कम किया जा सके।
सघन निगरानी प्रणाली – पूरे देश में निगरानी बढ़ाई जाएगी, जिससे किसी भी प्रकोप की पहचान समय पर हो सके और आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

विज्ञान आधारित भविष्यवाणी और टीकाकरण पर जोर
सचिव अल्का उपाध्याय ने कहा, "हमारे पोल्ट्री क्षेत्र की सुरक्षा खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए कठोर बायो-सिक्योरिटी, वैज्ञानिक निगरानी और जिम्मेदार उद्योग प्रथाएँ बेहद आवश्यक हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि एक भविष्यवाणी मॉडलिंग प्रणाली (Predictive Modelling System) विकसित की जा रही है, जिससे पर्यावरण निगरानी और समय पर चेतावनी द्वारा प्रकोप को रोका जा सके। इसके अलावा, ICAR-NIHSAD, भोपाल द्वारा विकसित H9N2 (Low Pathogenic Avian Influenza) वैक्सीन को अब वाणिज्यिक रूप से उपयोग की अनुमति मिल चुकी है। इसकी प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय अध्ययन किया जाएगा।
HPAI वैक्सीन पर विचार-विमर्श
बैठक में Highly Pathogenic Avian Influenza (HPAI) के लिए वैक्सीन की अनुमति देने पर भी चर्चा हुई। उद्योग ने वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करने की मांग की ताकि आर्थिक नुकसान को रोका जा सके। हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में उपलब्ध HPAI वैक्सीन संक्रमण को पूरी तरह नहीं रोकती, बल्कि वायरस के प्रसार को कुछ हद तक कम करती है। इसलिए निर्णय से पहले वैज्ञानिक मूल्यांकन आवश्यक माना गया है।

भागीदारी और अनुसंधान संस्थान
बैठक में देश के प्रमुख पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों, पोल्ट्री उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों, वैक्सीन निर्माताओं और संस्थानों जैसे ICAR-NIHSAD, ICAR-IVRI, ICAR-CARI, ICAR-NIVEDI, और ICAR-Directorate of Poultry Research ने भाग लिया।
संयुक्‍त और व्‍यापक नियंत्रण नीति
भारत सरकार एक "परीक्षण और कूलिंग" (Test and Cull) नीति अपनाती है। इसमें संक्रमित पक्षियों को मारना, संक्रमित क्षेत्र में मूवमेंट पर रोक लगाना, और 1 किलोमीटर की परिधि में कीटाणुशोधन शामिल है। राज्यों को रोज़ाना रिपोर्टिंग और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं, खासकर सर्दियों में जब प्रवासी पक्षियों से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

गैर-पोल्ट्री प्रजातियों जैसे मवेशियों, बकरियों और सूअरों में निगरानी की गई, लेकिन इनसे नकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए।भारत ने वैश्विक सहयोग के लिए H5N1 वायरस के जीनोम अनुक्रम डेटा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के साथ साझा किए हैं।
नियंत्रण और बचाव के लिए केंद्र और राज्य की संयुक्त टीमें भेजी जा रही हैं।
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना के अंतर्गत मारे गए पक्षियों, नष्ट किए गए अंडों और चारे के लिए किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाती है, जिसमें केंद्र और राज्य 50:50 खर्च साझा करते हैं।
सरकार और पोल्ट्री उद्योग का यह समन्वय बर्ड फ्लू की रोकथाम और भारत के पोल्ट्री सेक्टर को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बायो-सिक्योरिटी, सटीक निगरानी और वैज्ञानिक रणनीतियाँ मिलकर इस संक्रामक बीमारी पर काबू पाने में सहायक होंगी।
Report:Lalit Lanjewar. 
                                            
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